Sunday, August 15, 2010

मंगल कामना( POEM- GOOD WISHES)

मिल रहे दो ह्रदय कोमल ,आज मंगल गीत गाओ। प्रभु कृपा से ही मिली है, यह सुघर जोड़ी सुहानी। हर अधर पर स्वयं मुखरित ,प्रति कि पावन कहानी। प्रीति अंकुर बीन के कवि, गीत कोई गुनगुनाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ तब दरश को तृषित थे दृग, टकटकी पथ पर लगाए।आगमन की आस में प्रिय , पलक पारंबर बिछाए। हो गए हैं धन्य लालन, नेह नित नूतन बड़ाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ जगत पति जगदीश मानो, स्वगत नगरी में पधारे। समर्पित मिथलेश सादर , हम सदा सेवक तुम्हारे। आप हम करके कृपा बस, अब हमें अपना बनाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ युग युगों के स्वप्न सचमुच, हो रहे साकार भाई। मेरे संबंधी सभी सज्जन , परस्पर दें बधाई। सुगम मालाऐँ गले में, झूलती झूले झुलाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ धनीराम सुजान श्रीयुत, शिवरतन स्वामी हमारे। प्राप्त हो आनंद वैभव, शांति एवं सौख्य सारे। आज प्रभुदयाल प्रमुदित, स्वयं तन मन धन लुटाओ। आज मंगल गीत गाओ॥

2 comments:

  1. इस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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