Friday, August 20, 2010

बाल कविता- गरीबी/ POEM-POVERTY

जनता :-D -आज खुशी का दिवस हमारा, हमने दस फुट रावण मारा। गरीबी :-) -सभी लपेटो इसकी बातें, भाँग आ गया धर से खाके। रावण तेरे खड़ा सामने, लेकर तेरी सीता रानी। हिम्मत हो तो ,हाथ थाम ले। राम ;-) ठैर रे सीते ! कर मत चिंता, देख इसे मैं कैसे धुनता। सूत्रधार :-) आज अमीरी रूपी रावण, बड़े बड़े जबड़ोँ को बाकर। खड़ा हुआ है खाने को, भूखी नंगी सीता को। यहाँ हजारों ऐसी सीता,मगर एक रावण की दासी। आज जरूरत कई राम की, सीता जिनकी बने राजश्री। करें राम जब रावण अंत, तभी बनेगा देश स्वतंत्र॥ - - उदय भान कनपुरिया

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