Saturday, September 11, 2010

सतसंग

हे भगवन सब सतसंगी हों , जीवन में सब धर्म वृती हों ॥ हो ज्ञानी या हो अज्ञानी , प्रभु चरणों में सभी रती हों ॥ राम नाम का मरम बड़ा है , कृष्ण कन्हइया यहीं खड़ा है ॥ बंद पलक से उसको देखूं , हम सबमेँ तो वही बड़ा है ॥ - - उदय भान कनपुरिया

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