Tuesday, January 25, 2011

कविता 26 जनवरी 2011

फूलों की धरती ,
ये कलियों की धरती ॥
ये मेरी हसीना ,
हसीनोँ की धरती ॥
लहू दुश्मनोँ का ,
इसी को चढ़ा दें ॥
पसीना -किसानों का ,
सीँचे वो धरती ॥ - उदय भान कनपुरिया

कविता 26 जनवरी 2011

गली बेँच देंगे ।
सड़क बेँच देंगे ॥
ये पेड़ों के जड़ की ,
पकड़ बेँच देंगे ॥
वतन के सिपाही अगर सो गए तो ॥
ये नेता धरा की अकड़ बेँच देंगे ॥ - उदय

कविता 26 जनवरी 2011

गली बेँच देंगे । सड़क बेँच देंगे ॥ ये पेड़ों के जड़ की , पकड़ बेँच देंगे ॥ वतन के सिपाही अगर सो गए तो ॥ ये नेता धरा की अकड़ बेँच देंगे ॥